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" अल्फ़ाज़ - ज़ो पिरोये मनसा ने "
ज़र्रों में रह गुज़र के चमक छोड़ जाऊँगा ,
आवाज़ अपनी मैं दूर तलक छोड़ जाऊँगा |
खामोशियों की नींद गंवारा नहीं मुझे ,
शीशा हूँ टूट भी गया तो खनक छोड़ जाऊँगा||
दीये जलाने से लक्ष्मी आती अगर
Posted by Manish Khedawat
यूँ घरों में दीये
जलाने से लक्ष्मी आती अगर ;
तो वो लोग करोड़ों में खेलते ,
जिनके गाँव में अब तक बिजली नहीं पहुँची ।।
2 comments:
विभूति"
November 11, 2012 at 5:46 PM
गहन अभिवयक्ति......
प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'
February 2, 2013 at 7:36 AM
अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
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गहन अभिवयक्ति......
अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...