ज़र्रों में रह गुज़र के चमक छोड़ जाऊँगा ,
आवाज़ अपनी मैं दूर तलक छोड़ जाऊँगा |
खामोशियों की नींद गंवारा नहीं मुझे ,
शीशा हूँ टूट भी गया तो खनक छोड़ जाऊँगा||
पीने पिलाना बिल्कुल ठीक नहीं बोतल से हो तब भी ठीक है दूसरे दिन होश तो आ जाता है आँखों से पी लिया करता है जो जिंदगी भर का नशेड़ी हो जाता है उसकी आँखों को पीलिया हो जाता है !
3 comments:
उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
वाह....
क्या बात है.....
अनु
पीने पिलाना बिल्कुल ठीक नहीं
बोतल से हो तब भी ठीक है
दूसरे दिन होश तो आ जाता है
आँखों से पी लिया करता है जो
जिंदगी भर का नशेड़ी हो जाता है
उसकी आँखों को पीलिया हो जाता है !