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" अल्फ़ाज़ - ज़ो पिरोये मनसा ने "
ज़र्रों में रह गुज़र के चमक छोड़ जाऊँगा ,
आवाज़ अपनी मैं दूर तलक छोड़ जाऊँगा |
खामोशियों की नींद गंवारा नहीं मुझे ,
शीशा हूँ टूट भी गया तो खनक छोड़ जाऊँगा||
मुबारकबाद ,मेरे जन्मदिन पे
Posted by Manish Khedawat
comments (2)
जाने क्यूँ दे रहे ,लोग मुबारकबाद ,मुझे मेरे जन्मदिन पे "मनसा" |
ये दिन तो हर दफा , मेरी हयात का एक साल वजा कर देता हैं ||
#हयात - जिंदगी
#वजा - कम करना
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